याद हैं – अभी भी याद हैं
शदीद गर्मी के वह दिन
चढ़ते हुए वादियों में आए थे तुम
अलसाते हुए साये में देखा दूर उफ़ुक
पोछा माथे का पसीना और दूर कि गर्दे सफ़र
याद करता हूँ – नदी-सा तुम्हारा सफ़र
और, मेरा साहिल-सा जीवन – एक साथ याद करता हूँ !
शदीद गर्मी के वह दिन
चढ़ते हुए वादियों में आए थे तुम
अलसाते हुए साये में देखा दूर उफ़ुक
पोछा माथे का पसीना और दूर कि गर्दे सफ़र
याद करता हूँ – नदी-सा तुम्हारा सफ़र
और, मेरा साहिल-सा जीवन – एक साथ याद करता हूँ !